भारत एक विशाल देश है | इस देश में बिभिन भाषा-संस्कृति के लोग रहते है |यही चीज इस देश को अन्य देश से अलग पहचान दिलाता है | बिगत कुछ वर्षो से असमाजिक तत्वों द्वारा इसी पहचान को खतम करने के कोशिश की जा रही है | किसी भी भाषा संस्कृति को और विकसित होने का अवसर मिलना जरूरी है |और इससे जुड़े लोगो को इसे अपनी पहचान के रूप में प्रकट करना चाहिए | सदभाव रखते हुए अन्य भाषा-संस्कृति के लोगो के साथ मिलजुल कर एव एक दुसरे के प्रति सम्मान करने की मानसिकता बनानी चाहिए | एक दुसरे को निचा दिखाने तथा अतिक्रमण करने की मानसिकता को छोड़ कर एक दुसरे की राह में आने वाली बाधा को दूर करते हुए विकास के नए आयाम बनाना चाहिए | और आज के इस समय में भाषा-संस्कृति का अनोखा संगम बनाने के जरुरत है |जिसमे भेद भाव भुला कर हर कोई डुबकी लगा सके |
पंकज
Thursday, March 11, 2010
Tuesday, March 9, 2010
mahila divas
पुरुष प्रधान समाज मे महिलाओ के दशा के बारे में स्वामी विवेकनन्द ने कहा था "किसी चिड़िया का एक पंख पर उड़ना असमभव है " बिलकुल ठीक है , मेरा ये मानना है की महिलाओ को न पुरुष से कम न ज्यादा ठीक बराबर का अधिकार मिलाना ही चाहिए | इस के लिए अभी बहुत कुछ बुनियादी काम करने के जरूरत है | धन्यवाद